मानवधर्म ही महाधर्म
मानवधर्म ही महाधर्म
मानव धर्म ही मनुष्य का आदि धर्म है। स्वस्फूर्त आत्मविकास का धर्म है। हम उस मानव धर्म को भूल गए हैं और विभिन्न धर्मों और अधर्मों से ग्रस्त हैं।
यदि हम थोड़ी सचेत नज़र से देखें, तो हम देख सकते हैं कि हम दिन-प्रतिदिन और अधिक भयानक परिणामों की ओर बढ़ रहे हैं। आज के गभीर संकट में इस भयावह स्थिति से बचने के लिए, हमें तुरंत मानव धर्म को~ फिर से स्थापित करना चाहिए~ और आत्म विकास के लिए मानव धर्म का अभ्यास करना चाहिए।
महाधर्म~ मानव धर्म पर आधारित, अंधविश्वास से मुक्त, मानव विकास के लिए एक युगांतरकारी धर्म है। वास्तविक मानव विकास के लिए~ महाधर्म इस समय की एक महान क्रांतिकारी लहर है।
मानवधर्म ही~ महाधर्म। महाधर्म~ अमूर्त मानव धर्म का मूर्ति या अवतार है।
अति उत्कृष्ट यह धर्म~ स्वस्थ के साथ~ शांतिपूर्ण और अच्छी तरह से विकसित जीवन प्राप्त करने का सबसे अच्छा तरीका है। यह मानव जीवन की अधिकांश समस्याओं और अशांति से छुटकारा पाने का एकमात्र पथ है।
हम इस महान धर्म को अपनाने और पक्ष में संगठनों का निर्माण करने के लिए अन्धविश्वास से मुक्त~ स्वतंत्र विचारशील~ सत्य-प्रेमी~ तर्कसंगत~ आत्म विकास इच्छुक~ ज्ञान उन्मुख~ सही आध्यात्मिक पथ के लोगों को आह्वान करते हैं।
~महर्षि महामानस
মন্তব্যসমূহ
একটি মন্তব্য পোস্ট করুন